सूक्ष्मजीव
  
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संज्ञा। कोई सूक्ष्मजीव एक ऐसी छोटी जीवित वस्तु है जिसे केवल किसी सूक्ष्मदर्शी के नीचे देखा जा सकता है। सूक्ष्मजीवों में जीवाणु, प्रोटोजोआ, कुछ शैवाल और कवक सम्मिलित हैं।

 

"सूक्ष्मजीव हमारे चारों ओर रहते हुए पाए जाते हैं, त्वचा पर और यहाँ तक कि हमारे शरीर के भीतर।"

 

"ऐसे कोई भी सूक्ष्मजीवों को रोगाणु कहा जाता है जिनके कारण संक्रमण और रोग हो सकता है। हालांकि, सभी सूक्ष्मजीव रोग का कारण नहीं बन सकते हैं। यहाँ तक कि कुछ हमारे लिए सहायताप्रद हैं।"

 

सम्बन्धित शब्द

 

रोगाणु

संज्ञा। रोगाणु एक सूक्ष्मजीव के लिए एक और शब्द है, जो एक ऐसी जीवित वस्तु जिसे केवल किसी सूक्ष्मदर्शी से देखा जा सकता है।

 

कीटाणु

संज्ञा। कीटाणु किसी ऐसे सूक्ष्मजीव को कहा जाता है जिसके कारण संक्रमण या रोग हो सकता है।

 

Learning point

रोगाणुओं के प्रकार और उनकी क्षमताएँ

 

रोगाणु लगभग चार प्रमुख प्रकार के होते हैं; कवक, जीवाणु, विषाणु और परजीवी। कवक सामान्य तौर पर आकार में सबसे बड़े होते हैं। जीवाणु सामान्य तौर पर कवकों से छोटे होते हैं और उनमें कोई कोशिका केन्द्रक नहीं होता है। विषाणु सबसे छोटे प्रकार के ऐसे रोगाणु होते हैं जिनमें कोई कोशिका केन्द्रक और कोशिका भित्ति नहीं होती है। विषाणु केवल किसी कोशिका या अन्य जीवित जीवों के भीतर ही प्रजनन कर सकते हैं। कुकुरमुत्ते और छत्रक (छतरी वाले कुकुरमुत्ते) भी कवक होते है।

 

जिन आम सूक्ष्मदर्शीय परजीवियों के कारण रोग हो सकते हैं, उनमें से एक होते हैं - मलेरिया के परजीवी। मलेरिया के परजीवी मानव शरीर के भीतर छिप जाते हैं जहाँ वे हमारी रक्त कोशिकाओं के भीतर प्रजनन करते हैं। मलेरिया के परजीवी तब फैलते हैं जब कोई संक्रमित मच्छर रक्त को चूसने के लिए किसी व्यक्ति को काटता है।

 

यद्यपि कुछ कृमि परजीवी होते हैं, वे बड़े होते हैं और अनेक कोशिकाओं से बने होते हैं। वे रोगाणु नहीं होते हैं।

 

रोगाणु हर स्थान पर होते हैं। यह अनुमान लगाया जाता है कि एक ग्राम मिट्टी में 100 हज़ार-लाख जीवाणुओं की कोशिकाएँ हो सकती हैं (100 हज़ार-लाख = 10,000,000,000)।[1] हमारे शरीर में, 390 खरब जीवाणुओं की कोशिकाएँ (390 खरब = 39 * 10 लाख * 10 लाख या 39,000,000,000,000) हो सकती हैं।[2]

 

सभी कीटाणुओं को ऐसी दवा के प्रभावों का प्रतिरोध करने की क्षमता हासिल हो सकती है जिसका उपयोग अतीत में उनके विरुद्ध सफलतापूर्वक किया गया था। इस क्षमता को रोगाणु-रोधी प्रतिरोध कहा जाता है।[3] उदाहरण के लिए, एण्टीबायोटिक्स का आवश्यकता-से-अधिक-उपयोग मानवों और पशुओं में किया जा रहा है, और ये एण्टीबायोटिक्स उत्तरोत्तर रूप से पर्यावरण को संदूषित कर रहे हैं। एण्टीबायोटिक्स के सम्पर्क में आना हमारे शरीरों, पशुओं, और पर्यावरण में कुछ जीवाणुओं को एण्टीबायोटिक प्रतिरोधी हो जाने के लिए प्रेरित कर सकता है। ये एण्टीबायोटिक-प्रतिरोधी जीवाणु फैल सकते हैं और इनके कारण जानलेवा रोग हो सकते हैं।

 

रोगाणुओं के बारे में इस वीडियो को देखें:

 

सूक्ष्मजीव | डॉ. बिनॉक्स शो | छोटे-बच्चों के लिए शैक्षणिक वीडियोज़ 

 

References

1    Ingham, E. R. (2019). Chapter 3: Bacteria. In Soil Biology. Retrieved from https://extension.illinois.edu/soil/SoilBiology/bacteria.htm.

2    Sender, R., Fuchs, S., & Milo, R. (2016). Revised Estimates for the Number of Human and Bacteria Cells in the Body. PLOS Biology,14(8). doi:10.1371/journal.pbio.1002533

3    WHO. (2015). Global Action Plan on Antimicrobial Resistance. Geneva, Switzerland: WHO Document Production Services. ISBN: 978 92 4 150976 3

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